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Beti Dharm Sansad-22 July 2018

बेटे की लालच में अंधे इंसानों की आंखे खोलने के लिए अब बेटी धर्म संसद का सहारा लिया गया है। यह चाहत इतनी अंधी हो चुकी है कि लोगों के अब कानून का भी खौफ नहीं रह गया है। काया में दफन हो चुकी इंसानी आत्मा को जगाने के लिए अब धर्म गुरुओं ने सामाजिक संस्था आगमन के निवेदन पर यह बीड़ा उठाया है। समाज के सबसे बड़े पाप कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए बेटी धर्म संसद का आयोजन किया गया। जिसमें सभी धर्म के धर्म गुरुओं ने गुहार लगाते हुए कहा कि कन्या को उसके जीने का अधिकार दिया जाये। सरकारी नियमों को सख्त करने से कुछ नहीं होगा। इन नियमों को अनुपालन भी सुनिश्चित होना चाहिए।

पिछले सत्रह साल से बेटी बचाने का अलख जगा रही सामजिक संस्था आगमन ने समाज को राह दिखाने के संतों का सहारा लेते हुए हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई संग अलग अलग पंथो के प्रमुखों को एक मंच पर लाकर बेटी बचाने की आवाज को जन जन तक पहुंचाने के लिए साथ ही समाज के इस असफलता का दोष समाज के श्रेष्टजन और गुरुजन पर न हो इसके लिए बेटी धर्म संसद का आयोजन किया । ये भी सच है कि सभी समाज में व्याप्त एकाकी के कारण ही बेटियों की संख्या में निरंतर कमी आ रही।

आगमन सामाजिक संस्था और श्री रामानंद विश्व हितकारिणी परिषद द्वारा सयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस बेटी धर्म संसद की अध्यक्षता कर रहे श्री अन्नपूर्णा मंदिर के महंथ रामेश्वर पूरी ने कहा कि पेट में पल रही बेटी की ह्त्या जीव हत्या है और इस जीव हत्या का कोई प्रायश्चित नहीं है। श्री राम मंदिर के महंथ स्वामी राम कमल वेदांती ने कहा कि बिन बेटी संसार ही नहीं बल्कि पुरुष समाज भी अधूरा है श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक श्रीकांत मिश्रा ने कहा की कन्या भ्रूण हत्या करना और कराना दोंनो ही महापाप है इस्लाम धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए धर्मगुरु सैय्यद फरमान हैदर ने कहा कि इस्लाम धर्म की आन और शान है मुहम्मद साहब ने भी बेबी फातिमा का सम्मान किया था सिख धर्म का प्रतिनिधित्व कर रहे सिख धर्मगुरु धर्मवीर सिंह ने कहा की बेटी है तो समाज है और हमारे धर्म में भी भ्रूण हत्या पाप है ईसाई धर्म का प्रतिनिधित्व कर रहे फादर आनंद ने कहा बेटियां बोझ नहीं है बल्कि वो समाज की मार्ग दर्शिका है गायत्री परिवार से जुड़े डॉ रोहित गुप्ता ने कहा की बेटियां हमारी विरासत है और कन्या भ्रूण हत्या को रोकना हर किसी का दायित्व है। आयोजन में प्रमुख्य रूप से रामभरत शास्त्री सर्वेश्वर दास, डॉ सरोज पांडेय,अमित सोनी,रवि सर्राफ शशि कान्त शुक्ला उत्कर्ष वर्मा, रामबली मौर्य,अभय श्रीवास्तव,धर्मेंद्र सिंह राहुल सिसोदिया, राकेश मिश्रा आलोक पांडेय सन्नी कुमार अरुण सोनी ,किरण जितेंद्र अनूप गुप्ता अरुण तिवारी,हरीश शर्मा और राजा केशरी ने भाग लिया। आयोजन में विषय प्रस्तावना संस्थापक सचिव डॉ संतोष ओझा , धन्यवाद राकेश मिश्रा और सञ्चालन डॉ सरोज पांडेय ने किया।

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